शाम सबेरे उठ के माता , दीपक रोज जलाते हैं।
आशिर्वाद हमें दो माता , रोज द्वार पर आते हैं।।
छोटे छोटे बच्चे हैं हम , पूजा पाठ न आता है।
जो भी मन से पूजे माता , कष्ट दूर हो जाता है।।
करे सवारी उल्लू की जी, सबके भाग्य विधाता हो।
हे लक्ष्मी माँ नमन करूँ मैं, तुम ही जीवन दाता हो।।
जो भी पूजे सच्चे दिल से, पास वही आ जाती हो।
कर्म करे जो अच्छे माता, उनको नहीं सताती हो।।
सुबह शाम जो पूजा करते, खाली झोली भरती हो।
भाग्य चमक जाता है उनका, कृपा जहाँ पर करती हो।।
प्रिया देवांगन प्रियू
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया रचना बधाई हो
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