नशा नाश का जड़ है प्यारे , इसको मत अपनाओ ।
स्वस्थ अगर रहना चाहो तो , सादा भोजन खाओ ।।
इज्जत पैसा दोनों होते , एक साथ बर्बादी ।
रोज लड़ाई झगड़ा होते , बनो नहीं तुम आदी ।।
टूटे घर परिवार सभी से , रिश्ते नाते छोड़े ।
ऐसी आदत वालो से अब , काहे रिश्ता जोड़े ।।
खाने को लाले पड़ जाते , बच्चे भूखे सोते ।
जीना मुश्किल हो जाता है , कलप कलप कर रोते ।।
मद्यपान अब करना छोड़ो, सादगी को अपनाओ ।
मिट जायेगा क्लेश कलह सब , घर में खुशियाँ लाओ ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
धन्यवाद सर जी
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