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बुधवार, 6 नवंबर 2019

नरकासुर की कथा विकिपिडिया के सौजन्य से






 नरक चौदस के  दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी  सत्यभामा की मदद से  नरकासुर  का बध किया था उसकी  कहानी  हम विकिपिडिया के सौजन्य से प्रस्तुत  कर रहे हैं संपादित करें

प्रागज्योतिषपुर नगर का राजा नरकासुर नामक दैत्य था। उसने अपनी शक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया। वह संतों को भी त्रास देने लगा। महिलाओं पर अत्याचार करने लगा। उसने संतों आदि की 16 हजार स्त्रीयों को भी बंदी बना लिया। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता व ऋषिमुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नराकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वसान दिया। लेकिन नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया तथा उन्हीं की सहायता से नरकासुर का वध कर दिया।  नरकासुर के बधाई के उपरान्त मुक्त की गई  स्त्रियों को उनके  घरों मे भगवान  श्रीकृष्ण  ने  वापस भेजा  लेकिन  उन स्त्रियों के  घर  वालों ने  श्रीकृष्ण  को उनके  साथ विवाह  करने के लिए  प्रार्थना की  जिसे  श्रीकृष्ण ने  स्वीकार किया   श्रीकृष्ण ने 8 और स्त्रियों  को  पटरानी  बनाया इस प्रकार  उनके  16008 रानियां थीं।  
 श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। उसी की खुशी में दूसरे दिन अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीए जलाए। तभी से नरक चतुर्दशी तथा दीपावली का त्योहार मनाया जाने लगा।

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