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सोमवार, 6 जुलाई 2020

गुरु महिमा : श्याम सुन्दर श्रीवास्तव जी की रचना

       




जो हरते अज्ञान तिमिर को,वह गुरुवर कहलाते।
हम हैं शीश नवाते गुरु को,हम सब शीश झुकाते।।
अंधकार से जो प्रकाश की ओर हमें ले जाते।
जीवन का उद्देश्य सार क्या हमें सदा बतलाते।
मोह और आसक्ति कामना के बंधन जो काटें-
तिमिर पंथ का हरके अगणित ज्ञान प्रदीप जलाते।
हम हैं शीश नवाते गुरु को,हम सब शीश झुकाते।।


दूर करें मन का भ्रम शंसय सब विकार हरते हैं।
जीवन की बधाएँ हरके पथ प्रशस्त करते हैं।
करते हैं कल्याण जगत का सदाचार के पोषक-
उनकी कोमल मृदु वाणी में शुभ्र पुष्प झरते हैं।
गुरुवर की महिमा अनंत है गुरु की बहुत महत्ता-
गुरुवर के शुभ दर्शन पाकर नयन कमल खिल जाते।
हम हैं शीश नवाते गुरु को,हम सब शीश झुकाते।।



श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
    लहार,भिण्ड,म०प्र०

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