प्रिन्सेज डॉल की डॉल
प्रिन्सेज घर मे दुखी बैठी उसकी प्यारी बिल्ली ने प्रिन्सेज से उसके भाई के बारे में पूछ लिया था . डॉल को मालूम नही कि उसका कौन भाइं है. उसका कोई भाई है भी कि नहीं उसे मालूम नहीं है. उसकी मम्मी भी बस गोल मोंल जवाब देती हैं कभी वह कृष्ण भगवान को राखी बंधवा देती है . वैसे तो मौसी बुआ मामा दादी के घर मे उसके भाई बहन सब हैं परन्तु वे सब दूर रहते है काफी दूर दूर मे रहते हैं . वे लोग बहुत बहुत दिनो पर आते है तब प्रिन्सेज किससे खेले . रूपम का भाई तो उसक़े पास रहता दोनो साथ खेलते हैं . यह बात अलग है कि रूपम और उसके भाई मे कभी कभी झगड़ा भी होंता है उनकी मम्मी एक ही तरह की बॉल / खिलौने लाकर देती है परन्तु रूपम को तो वही गुडिया चाहिये होती है जो रूपम का भाई खेल रहा होता हैं अथवा उसके भाई को वही बॉल चाहिये होंती है जो रूपम खेल रही होती है. प्रिन्सेज ने सोचा कि उसका भी कोई भाई होता तो वह उससे रूपम डॉल की तरह झगड़ा नहीं करती दोनो लोग बहुत प्यार से खेलते.
प्रिन्सेज को उदास देख कर बिल्ली भी उदास हो गई वह बोली तुम्हारे पास भाई नहीं है तो क्या हुआ मै तो हूँ हम लोग साथ खेलते है . प्रिन्सेज बोली हाँ हाँ ठीक है पूसी जी . प्रिन्सेज पूसी के साथ वही पुराना, बाल थ्रो एन्ड पिक का खेल ,खेल रही थी. इतने मे किसी ने दरवाजा खटखटाया . प्रिन्सेज ने दरवाजा खोला तो देखा कि मम्मी आई है और उसके हाथ मे एक बोलने वाली सुन्दर सी डॉल है. प्रिन्सेज बहुत खुश हुई कि चलो भाई नही है तो क्या हुआ यह प्यारी सी डॉल उसके पास आ गयी है जिससे वह बात कर सकती है. पूसी तो साथ मे खेलती है पर ठीक से बात नहीं कर सकती . यह डॉल तो बड़े मजे की है स्टोरी सुनाती है राइम भी सुनातीं है . अब वह नई डॉल के साथ व्यस्त रहने लगी. एक दिन प्रिन्सेज की मम्मी पापा बाहर उसे घुमाने के लिये ले गये थे . प्रिन्सेज का होमवर्क करना छूट गया था . बिना होमवर्क किये प्रिन्सेज सो गयी थी. उसे लगा कि वह बोलने वाली डॉल उसे उठा कर कह रही है कि प्रिन्लेज का कुछ खो गया है . प्रिन्सेज झटपट बिस्तर से उठ बैठी उसने डॉल की तरफ देखा तो वह मुस्करा कर स्कूल बैग की तरफ देख रही थी तब उसी समय प्रिन्सेज को अपना छूटा हुआ होमवर्क याद आया और उसने झटपट होमवर्क कर लिया . उस समय पूसी को प्रिन्सेज का लाइट जलांना अच्छा नहीं लगा उसने एक बार प्रिन्सेंज को आँख खोल कर देखा फिर मुँह फेर कर सो गयी. प्रिन्सेज ने नई बोलने वाली डॉल जिस को वह प्यार से डॉल ही बुलाती थी को सोने से पहले थैन्क्स दिया नहीं तो स्कूल मे अगले दिन काम नहीं करने के लिये टीचर से डांट सुननी पड़ती .
डॉल तो वैसे एक गुड़िया थी लेकिन प्रिन्सेज को वह बहुत अच्छी लगती थी . वह इसलिये नहीं कि वह देखने मे बहुत खूबसूरत थी ऒंर बोलने वाली थी बल्कि इसलिये भी कि कोई जरुरी बात प्रिन्सेज करना भूल जाती थी तब डॉल को देखते ही याद आ जाती थी . इसलिये प्रिन्सेज कहीं जाते समय डॉल को बाई बाई कहना नहीं भूलती थी।।
शरद कुमार श्रीवास्तव
शीलकुंज. मेरठ
शीलकुंज. मेरठ
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