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सोमवार, 6 जुलाई 2020

सांप - नेवला






कहा   सांप   ने   अरे   नेवले
क्यों  मुझसे   झगड़ा   करता?
तेरी लाल - लाल  आंखों  का
मुझपर   फर्क   नहीं   पड़ता।
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मेरे   भीतर   बहुत   ज़हर  है
इसका   तुझको   भान    नहीं
उड़    जाएंगे    प्राण   पखेरू
पल-भर   में  यह  ज्ञान   नहीं
तुरत   छोड़  दे   मेरा    पीछा
क्यों  लड़ने   का   दम  भरता।
कहा सांप ने-----------------

व्यर्थ  किसी  को  नहीं  छेड़ता
नहीं   किसी   को   मैं  डसता   
और न अपनी कुटिल  कुंडली
में   जीवों   को    ही   कसता    
लगता  है  तू  इस  जीवन  से
बिल्कुल   प्यार   नहीं  करता।
कहा सांप ने----------------

कहा   नेवले   ने  ओ  विषधर
तू   इतना  अभिमान   न  कर
बेशक   मैं   छोटा   हूँ   तुझसे
मेरी     फुर्ती     से    तो   डर
तेरी    अहम   भरी    फुंकारों
की    परवाह    नहीं    करता।
कहा सांप ने------------------

अरे    घमंडी     तुच्छ    नेवले
अब   तू    होशियार   हो   जा
किसी समय अब मरने को भी 
तू   तैयार    ज़रा     हो     जा 
विषधर अपना  फन  फैलाकर
वार     नेवले      पर     करता।
कहा सांप ने------------------

चतुर  नेवले   ने   विषधर   के
फन   को    दांतों   से  पकड़ा
उसकी   भीषण   फुंकारों  पर
लगा     दिया    बंधन   तगड़ा
स्वयं  नेवले   की  हिम्मत   के
आगे    विषधर   क्या   करता
कहा साँप ने-----------------

अहंकार  में  कभी  न  पड़ना
बच्चो    इतना    ध्यान    रहे
अपनों से  छोटों  की  ताकत
का   भी   तो  अनुमान   रहे
बल ,बुद्धि और विनम्रता  से
ही    जीवन    आगे   बढ़ता।
कहा सांप ने----------------




      वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
          मुरादाबाद/उ,प्र,
          9719275453
    दिनांक-04/07/2020

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