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गुरुवार, 16 जुलाई 2020

महिमामयी नाक. :रचना अनंत पुरोहित अंनत





नाक हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बिना हम एक क्षण नहीं जी सकते। बहुत मजबूत अंग भी है। आपने सिर दर्द, कान दर्द, पेट दर्द अवश्य सुना होगा पर कभी किसी के नाक में दर्द हुआ हो ऐसा कम से कम मैंने तो सुना नहीं, मेडिकल का अध्ययन करने वालों ने सुना हो तो अलग बात है। संयोगवश किसी आम आदमी के नाक में दर्द हो भी जाए पर नेताओं के नाक में दर्द तो नहीं ही होता। हाँ, कभी-कभार नाक नीची होना जरूर सुना है मैंने। फलाने के बेटे ने ऐसा कर दिया, उसकी नाक नीची हो गई। काम बेटे ने किया, पर नाक उसकी नीची हुई। इससे यह प्रमाणित होता है कि नाक मजबूत और महत्वपूर्ण अंग होने के साथ-साथ संवेदनशील अंग भी है। ऐसे मजबूत अंग से भी यदि कोई चना न चबा सकता हो तो चना निश्चित ही बहुत कठोर होगा, तभी कभी-कभार यह सुनने को आता है कि उसने उसे नाकों चने चबवा दिए। हालाँकि कवियों ने इस महत्वपूर्ण अंग की बहुत अनदेखी की है। किसी भी शृंगार की कविता में देख लीजिए बाल, आँख के वर्णन के बाद सीधे अधरों का वर्णन मिलेगा। पता नहीं कवियों को नाक से क्या दुश्मनी रही?! कभी मिलकर पूछना पड़ेगा कि क्या उनको उनकी नाक प्यारी नहीं है? नाक तो सबको प्यारी होनी चाहिए, आखिर यह प्राण वायु आदान-प्रदान करने वाला अंग है। यदि हम हमारे ग्रंथों को भी देखें तो नाक का महत्व स्पष्ट दिखेगा। लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा के नाक काटे। वे चाहते तो हाथ-पाँव भी काट सकते थे, पर नहीं! उन्होंने नाक काटा। जाहिर है वे नाक का महत्व समझते थे। वे जानते थे कि शूर्पणखा की नाक कटी और समाज में उसका जीना दूभर। सूक्ष्म विश्लेषण से यह भी स्पष्ट होगा यही शूर्पणखा की नाक ही रावण की मृत्यु का कारण बना। नाक की इतनी बड़ी महिमा है। ऐसे में यदि आपकी नाक किसी नामी गिरामी नेता से मिलती हो तो यह कोई छोटी-मोटी योग्यता नहीं है। हमें सदा सम्मान करना चाहिए उस नाक का। यह अपने आप में ही एक महानता है।


अनंत पुरोहित 'अनंत'
अनंत पुरोहित 'अनंत'
बी ई (मैकेनिकल)
ग्रा- खटखटी पो- बसना
जि- महासमुंद (छत्तीसगढ़)
मो- 8602374011


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