श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी की एक पूर्व प्रकाशित रचना हम पुनः प्रकाशित कर रहे हैं
नींद खुली तो
हंसा रही थी बात बात में।
परी आई थी गई रात में।
एक हाथ में चॉक्लेट थी,
चना कुरकुरे एक हाथ में।
हम तो उसके दोस्त हो गए,
बस पहली ही मुलाक़ात में।
बोली इन्टर नेट सिखा ,
लेपटॉप हूँ लाई साथ में।
नींद खुली तो मां को ,देखा,
गरम जलेबी लिए हाथ में।
माँ ही बनकर परी आई थी,
समझ गई मैं ,गई रात में |
प्रभुदयाल श्रीवास्तव छिंदवाड़ा
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