"नन्ही सी जान"
रहती माँ की कोख में, बनकर नन्ही जान।
नौ महिने परिपूर्ण से,लेकर आती मान।।
आते ही संसार में, रूदन करती जोर।
इंसानों को देख कर, करती है वह शोर।।
नयन खोलती है परी, झूम उठे घर द्वार।
मम्मी पापा सँग सभी, करते अनुपम प्यार।।
बेटी को जब देखती, बहती खुशियाँ नीर।
खो जाती कुछ पल वहाँ, याद रहे नहिँ पीर।।
माँ लेती जब गोद में, चुम्बन करती माथ।
कहती उसके कान में, हरपल हूँ मैं साथ।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें