ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 17 जुलाई 2022

बन्नी फन्नी लन्नी खरगोश: बालकथा शरद कुमार श्रीवास्तव




बन्नी फन्नी लन्नी  नन्हे खरगोश  बार बार  अपनी मम्मी  इन्नी खरगोश का कहना नही मान रहे थे ।   इन्नी बार बार  उन्हे समझा रही थी कि मांद  के बाहर मत झांको बाहर लूमड़ घूम रहा है।  लूमड़ बिल्कुल मांद  के आस-पास  ही है ।  यह समझाकर इन्नी खरगोश  अपने घर के कामो मे लग गई। 

यह देखकर  बन्नी ने अपने दोनों दाँत बाहर निकाल  कर हँस कर  कहा,  मम्मी मजाक कर  रही है ।  लूमड़ तो अपने परिवार  के साथ  पिक्चर  देखने गया है। 

फन्नी खरगोश  ने अपने दोनो कान खड़े कर दिए  और बोला " बन्नी तुम्हे कैसे मालूम कि लूमड़ सपरिवार  पिक्चर  देखने गया है।  अभी सुबह सुबह  कौन पिक्चर  जाता है।  मम्मी जी ठीक  कह रही हैं हमेशा सतर्क  रहना चाहिए  खतरे को कम  नही समझना चाहिए।   मुझे लूमड़  की गंध भी आ रही है।

लन्नी खरगोश  भला चुप कैसे बैठता।  लन्नी खरगोश  ने बन्नी खरगोश  का साथ दिया और  अपनी गोल मटोल आँखे मटका कर बोला ।  हमे डरना नहीं चाहिए।   फन्नी खरगोश  ने आगे  कहा  मम्मी ने हमे कहानी सुनाई  थी कि एक खरगोश  ने शेरसिंह  को कुएं मे डाल  दिया था ।

बन्नी खरगोश  और  लन्नी खरगोश  ने मम्मी इन्नी खरगोश तथा  फन्नी खरगोश  की बातों पर कोई ध्यान न देकर  दाँत  दिखलाते हुए और आँखे मटकाते हुए  माँद से बाहर  निकल  गये।  वे अभी थोड़ी  दूर ही गए थे  कि एक झाड़ी  के पीछे छुपा लूमड़ बाहर  आ गया और  बन्नी खरगोश  और लन्नी खरगोश  पर झपटा ।  

बन्नी खरगोश  ने लूमड़ से झगड़ते हुए कहा यह तो चीटिंग है ।   मांद  मे आई हवा ने तो संदेश  दिया था कि तुम  सपरिवार  पिक्चर  देखने गए हो।   लूमड़  ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे, पँजे और  दाँत  दिखला कर  कहा।  फन्नी खरगोश और  तुम्हारी मम्मी इन्नी खरगोश  ने भी तुम्हे सावधान  किया था।  उनकी चेतावनी पर तुमने ध्यान  नहीं दिया तो लो अब भुगतो ।  यह कहकर  लूमड़  बन्नी खरगोश  और लन्नी खरगोश  को मारकर  खा गया।



शरद कुमार श्रीवास्तव 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें