ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 6 दिसंबर 2020

जाड़े की धूप



 





सुन मुन्नू सुन गुन्नू ओ बेबी पीहू रानी

आया है जाड़ा, जाड़े की धूप सुहानी

आओ बैठे धूप में कहती बूढ़ी नानी

बच्चे बात न सुनते खेलते हैं पानी


पहनो मोजे पावों में कहती है नानी

टोपा नहीं पहनते करते ये मनमानी

दौड़ें बच्चे पकड न पाये देखो नानी

नाक सुड़ सुड़ फिर भी खेलते पानी


नानी की बात न माने करते मनमानी

जाड़ा नहीं सताए जितनी करे शैतानी

सर सर हवा चले बहे नाक से पानी

बच्चों से जाड़ा हारा सुनिए जी नानी


बच्चों से न बोले जाड़ा बात ये बतानी

युवा का मीत शीत बात सबने है मानी

जाड़ा बूढ़ा नहीं छोड़ता मत कर हैरानी

ओढ़ रजाई बूढ़ा काँपे होगई बात पुरानी




शरद कुमार श्रीवास्तव

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब लिखा है,सर्दी से बच्चे कहां डरने वाले। 👏👏

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  2. बहुत खूब लिखा है,सर्दी से बच्चे कहां डरने वाले। 👏👏

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