सुन मुन्नू सुन गुन्नू ओ बेबी पीहू रानी
आया है जाड़ा, जाड़े की धूप सुहानी
आओ बैठे धूप में कहती बूढ़ी नानी
बच्चे बात न सुनते खेलते हैं पानी
पहनो मोजे पावों में कहती है नानी
टोपा नहीं पहनते करते ये मनमानी
दौड़ें बच्चे पकड न पाये देखो नानी
नाक सुड़ सुड़ फिर भी खेलते पानी
नानी की बात न माने करते मनमानी
जाड़ा नहीं सताए जितनी करे शैतानी
सर सर हवा चले बहे नाक से पानी
बच्चों से जाड़ा हारा सुनिए जी नानी
बच्चों से न बोले जाड़ा बात ये बतानी
युवा का मीत शीत बात सबने है मानी
जाड़ा बूढ़ा नहीं छोड़ता मत कर हैरानी
ओढ़ रजाई बूढ़ा काँपे होगई बात पुरानी
शरद कुमार श्रीवास्तव
बहुत खूब लिखा है,सर्दी से बच्चे कहां डरने वाले। 👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है,सर्दी से बच्चे कहां डरने वाले। 👏👏
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