ब्लॉग आर्काइव

शनिवार, 16 जनवरी 2021

दादी की गोदी !(लघु कथा) वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

 


       


जाड़े में बच्चा रोज़ शाम से ही अपनी दादी को आंगन में रखी परात में लकड़ियां जलाकर उनकी गोदी में बैठकर कहानियां सुनने की ज़िद करता।दादी भी उसकी जिज्ञासा को समझते हुए उसे रोज़ नई -नई कहानियां सुनाती, सो जाने पर बच्चे को अंदर ले जाकर पलंग पर सुलातीऔर गर्म कपड़ा उढ़ाकर प्यार से उसका माथा चूम लेती।

     दोनों एक दूजे के बिना खोए खोए से रहते।एक दिन बैठे-बैठे दादी को अचानक तेज चक्कर आया और दादी धड़ाम से जमीन पर गिर कर बेहोश हो गई।सारे घर वाले दौड़े-दौड़े आए और उन्हें  उठाकर पास के नर्सिंग होम में ले जाकर दिखाया।सारे आवश्यक परीक्षण करने के बाद डॉक्टर्स ने हल्के हार्ट अटैक की पुष्टि की और आवश्यक दवाएं देकर पूर्ण विश्राम की सलाह के साथ घर भेज दिया।शाम हुई तो बच्चे को दादी अम्मा की याद आई,परन्तु दादी के गहरी नींद में सोने का कारण उसकी समझ में न आया।उसने अपने मम्मी-पापा से पूछा तो पता चला कि अब कुछ समय तक दादी तुम्हें कहानी नहीं सुना पाएंगी।जब ठीक हो जाएंगी तब ही तुम कहानी सुन सकोगे।

      बच्चा बहुत उदास हो गया और रोनी सूरत लेकर दादी के पास पहुंचकर दादी से बोला अम्मा जल्दी ठीक हो जाओ ना,,,मुझे बिना कहानी सुने नींद नहीं आती।दादी ने भी उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा बेटा मुझे ही कौन सी तुझे देखे बिना नींद आती है।आ तू उदास मत हो मैं तो तुझे देखकर ही ठीक हो जाती हूँ।डॉक्टर तो कहते ही रहते हैं।सबका मालिक तो भगवान है।पर मेरा भगवान तो तू है।

       बच्चा खुश होकर दादी की गोदी में बैठ जाता है और कहानी सुनते सुनते सो जाता है।

           ------💐------

             वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

                 मुरादाबाद/उ,प्,

                 9719275453

                  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें