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शनिवार, 16 जनवरी 2021

रोटी की कीमत (सरसी छंद) प्रिया देवांगन प्रियू द्वारा प्रस्तुत महेन्द्र सिंह देवांगन की रचना

 



रोजी रोटी पाने खातिर, भटके सारे लोग ।
कोई बंदा भूखा सोता, कोई छप्पन भोग।।

दिन रात मेहनत करते हैं, पाते हैं तब चैन ।
सर्दी गर्मी बरसातों में, करे गुजारा रैन।।

शीश महल में रहने वाले, वो क्या जाने मोल।
भूख प्यास भी क्या होती है, करते बातें तोल।।

रोटी की कीमत तुम जानों, कभी न इसको फेंक।
भूखे को तुम रोज खिलाओ, अपने हाथों सेंक।।

रचनाकार 
महेन्द्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़

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