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सोमवार, 26 जुलाई 2021

रिमझिम रिमझिम बरसा पानी : बुशरा तबसुम की रचना

 


रिमझिम रिमझिम बरसा पानी

भीगी धरती धानी धानी

पंछी जन ने पर फैलाए

फुदक फुदक कर खूब नहाए

भीगूँ मै भी है मेरा मन

धो लूँ अपना फूलों सा तन.





बुशरा तब्बसुम

रुडकी 

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