राह देखती भैया जी का, साथ मायके जाती है।।
खुश हो कर सब माता बहनें, मिलजुल तीज मनाती है।।
पति की उम्र बढ़ाने को सब, निर्जल व्रत को करती है।
शिव गौरी की पूजा करती, मन में श्रद्धा भरती है।।
नये-नये पकवान बनाती, साथ बैठ कर खाती हैं।
खूब दिनों में मिलते बहनें, खुशहाली बिखराती हैं।।
हँसी ठिठोली करते रहते, बचपन यादें आती हैं।
बिछुड़ गये जो सखी सहेली, मिलने उनसे जाती हैं।।
घूम-घूम कर सभी नारियाँ, बाजारों में जाती हैं।
रंग बिरंगे साड़ी लेकर, अपने घर पर आती हैं।।
सालों का ये तीज तिहारी, मन में खुशियाँ लाती है।
खुशी-खुशी से सभी बेटियाँ, मन ही मन इठलाती है।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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