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गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021

गुड़िया की चॉकलेट! बाल रचना वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की रचना



दो - दो  चॉकलेट   देने   की,

चाचा   जी   ने  बात    कही,

सुनकर गुड़िया ने  निपटाया,

झटपट   अपना   दूध  सभी।


आकर चाचा  जी  से  बोली

अब   तो   चॉकलेट    दें   दें,

अगर आपके  पास नहीं  तो,

गुड्डन     को     लेने     भेजें,।


चाचाजी ने  तब  गुड़िया  से,

होमवर्क     की   बात   कही,

तभी  मिलेगी  चॉकलेट जब,

हल  कर  लोगी   प्रश्न  सभी।


सारा   होम  वर्क  गुड़िया  ने,

पल    में   पूरा   कर    डाला,

चॉकलेट   पाने    बस्ते    का,

झट  से   बंद   किया   ताला।


चॉकलेट  देकर  गुड़िया   को,

चाचा     जी     फिर      बोले,

उंगली थाम   चलो  विद्यालय,

पैदल         हौले          हौले।


छुट्टी    होने   पर   चाचा  जी,

मुझको         लेने        आना,

चॉकलेट   का    दूजा   पैकेट,

लाकर       मुझे      खिलाना।


चॉकलेट अब  तभी  मिलेगी,

जब   पढ़    कर     आओगी,

मास्क  हटा  दोनों हाथों  को,

धोकर            दिखलाओगी।


ड्रेस  बदलकर के  गुड़िया ने,

मुँह    से     मास्क     हटाया,

चाचा  जी  ने  चॉकलेट   तब,

लाकर       उसे      खिलाया।

             ----🎂---

         वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

              मुरादाबाद/उ,प्र,

             9719275453

             

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