मम्मी ने देखा कि चुनमुन स्कूल से आकर , उससे बगैर मिले या प्यार किये ही, कुछ खोजने में लग गई थी । मम्मी को आश्चर्य हुआ कि ऐसा तो कभी नहीं होता है । चुनमुन स्कूल से घर आकर सबसे पहले वह अपनी मां से अवश्य मिलती है । मम्मी कौतुहल-वश चुनमुन के कमरे में गई। मम्मी को वहाँ देखकर चुनमुन तुरन्त बोलने लगी कि मम्मी मेरा ब्लू रंग का क्रेयान कहीं नहीं मिल रहा है । आज टीचर जी ने सबके सामने मुझे बहुत डाँटा था । वो कह रहीं थीं कि तुम अपना सब सामान फेंकती रहती हो । मम्मी कल ही तो मैंने उससे पेंटिंग की थी और पेटिंग के बाद वह कहाँ चला गया पता नहीं चल रहा है। इसी लिए मै अपने कमरे में तलाश कर रही हूँ । यह सुनकर मम्मी बोली कि कितनी बार तुम्हें समझाया है कि अपना सब सामान संभाल कर रखो और इस्तेमाल करने के बाद उसे फिर अपनी जगह पर रख दो लेकिन तुम सुनती कहाँ हो। तुम्हारी मैम ने ठीक ही तुम्हें डाँटा है । यह सुनकर चुनमुन बोली मम्मी अब मै समझ गई हूँ । मै अब अपना सब सामान ठीक जगह रखूंगी और इस्तेमाल करने के बाद फिर उसे फिर सही जगह पर रखूँगी । मैं आपसे प्रामिस करती हूँ । नन्ही चुनमुन की यह बात सुनकर मम्मी मुस्करायी । वह बोली, यह लो तुम्हारा ब्लू क्रेयान ! अब सब सामान ठीक से रखना । सबेरे तुम्हारे स्कूल जाने के बाद काम वाली आन्टी ने कूड़े वाली बाल्टी में से निकाल कर यह ब्लू क्रेयान मुझे दिया था। चुनमुन खुश हो गई और मम्मी के गले से लग गई ।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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