ठंडी का मौसम जब आये।
स्वेटर मफलर सब को भाये।।
भीनी-भीनी आग सुहाये।
ठंडी का मौसम जब आये।।
एक जगह पर सभी इकट्ठे।
मिलकर लाते लकड़ी लट्ठे।।
बच्चे बूढ़े बैठे सारे।
आग तापते लगते प्यारे।।
सरसर सरसर चली हवायें।
तन मन को ठंडी कर जाये।।
धूप बड़ी लगती है प्यारी।
देह सेंकते नर अरु नारी।।
शीत बूँद मोती बन आये।
बैठ धरा को वह हर्षाये।।
धुँधली सी बादल पर छाये।।
जब - जब मौसम ठंडी आये।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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