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गुरुवार, 6 जनवरी 2022

नन्ही चुनमुन और यूनीकार्न

 




मम्मी  ने  देखा  कि  चुनमुन स्कूल से  आकर उससे बगैर  मिले या प्यार  किये त कमरे मे चली गई  है  ।   मम्मी  को  आश्चर्य  हुआ  कि  ऐसा  तो  कभी  नहीं होता था   ।   चुनमुन स्कूल  से घर  आकर  सबसे  पहले  वह  अपनी  मां  से  अवश्य  मिलती  है ।   मम्मी  कौतुहल-वश चुनमुन के  कमरे  में  गई।  मम्मी  को  वहाँ आया  देखकर चुनमुन  बोलने लगी  कि  मम्मी  मेरा यूनीकार्न  कहीं  मिल नहीं  रहा  है  ।   आज  पीहू के पास वैसा ही यूनीकार्न वाला पेन्सिल  बाक्स   था । मम्मी  कल ही  तो  मैं उससे खेली  थी और  उसके  बाद   वह  कहाँ चला  गया  पता  नहीं चल रहा  है इसीलिए  मै अपने  कमरे में उसे  तलाश  कर  रही  हूँ ।   यह  सुनकर  मम्मी  बोली कि  कितनी  बार  तुम्हें  समझाया  है  कि  अपना सब सामान खिलौने  संभाल  कर रखो और  खेलने या  इस्तेमाल  करने  के बाद  उसे  फिर  अपनी  जगह  पर  रख  दो   लेकिन  तुम  सुनती कहाँ हो।     यूनीकार्न  भी एलियन  की तरह ही होते है लगता है   तुम्हारा यूनीकार्न  पीहू का पेंसिल  बाक्स बन गया है ।   चुनमुन  इतना तो समझती थी  कि  खिलौने आला  यूनीकार्न  पेन्सिल वाला यूनीकार्न  नहीं बन सकता है 

 चुनमुन बोली मम्मी मै यह बात  नहीं कह रही हूँ बस उस पेन्सिल  बाक्स  को देखकर  मुझे मेरा यूनीकार्न  याद  आ गया था इसलिए  मै स्कूल  से आकर  उसे खोज रही हूँ । परेशान होकर अब मै  समझ गई  हूँ कि सब सामान  सही जगह रखना चाहिये ।   मै अब अपना सब सामान  इस्तेमाल करने  के  बाद  फिर  उसे  फिर  सही  जगह  पर  रखूँगी  ।   मैं  आपसे  प्रामिस करती हूँ ।   

 नन्ही  चुनमुन की यह बात   सुनकर  मम्मी  मुस्करायी ।  वह बोली,  यह लो तुम्हारा यूनीकार्न  !  अब  सब  सामान  ठीक  से  रखना ।   सबेरे  तुम्हारे  स्कूल  जाने  के  बाद   काम वाली  आन्टी  ने धोने वाले कपडों   में  से निकाल  कर  यह  मुझे  दिया था।    चुनमुन  खुश  हो  गई  और  मम्मी  के  गले  से  लग गई ।  



शरद  कुमार श्रीवास्तव 



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