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गुरुवार, 6 जनवरी 2022

बाल रचना/कुकडू कूँ! वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

 


  मुर्गी यूं बोली मुर्गे से,

  चलते हैं बाजार,

  बच्चों के कपड़े लाने हैं,

  अपने लिए अचार।


  जोड़ रखे हैं मैंने देखो,

  रुपए चार हज़ार,

  कर दें चुकता पाई-पाई,

  चलकर सभी उधार।


  बड़ी सुहानी धूपखिली है,

  शीतल बही बयार,

  पहनो सारे कपड़े जानम,

  हो जाओ तैयार।


  नहीं चलेगा आज बहाना,

  कहती हूँ सौ बार,

  दाना-दुनका फिर चुगलेंगे,

  है, कल को रविवार।


  खेल खिलौने पा चूजों को,

  होगी खुशी अपार,

  उन्हें देखकर चहक उठेगा,

  अपना यह संसार। 


  अपने लिए कोट ले लेना,

  मुझे दिलाना हार,

  जिसे पहन कर हम बोलेंगे,

  कुकड़ू कूँ दिलदार।

         ------😊😊------



         वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

            9719275453

                   -------

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