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गुरुवार, 6 अक्टूबर 2022

कागज की नाव : शरद कुमार श्रीवास्तव

 



कागज की नाव  चली

टिंकूजी के गांव  चली

सड़क मोहल्ले व गली  

बहते हुए पानी मे चली


वो छुपती छुपाते चली

वो बचती बचाते चली

टिंकूजी की नाव चली 

कागज की नाव चली 


बरसाती पानी में चली

झूमती झामती चली

टिंकूजी की नाव चली 

कागज की नाव चली 


पिंटू की एक न चली 

मन्टू की एक न चली

टिंकू ही की नाव चली 

कागज की नाव चली 


शरद कुमार श्रीवास्तव,

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