दीपमालाएं हमारे घरों को रौशन करें
लक्ष्मी की कृपा बरसे हर्षित मन करें
हो प्रसन्न, सब ओर खुशियाँ व्याप्त हो
हर दिशाओं से धनधान्य की प्राप्ति हो
जहाँ नजर तेरी पड़े हो वहाँ रंगीनियाँ
कहीं से कभी झांके नहीं गम गीनियाँ
झाँक लेना अट्टालिका से नीचे अहो
पास मंे तेरे कोई भी भूखा सोया न हो
उसे होली, दीवाली से लेना है क्या भला
दीवाली मनी है गर दो वक्त चूल्हा जला
रौशन भी हो रौशनी, ऐसा उजाला करें
सम्पन्न होएं राष्ट्र स्वदेशी का प्रण घरे
मिलेगा रोजगार कोई भूखा होगा नहीं
ऐसा स्वदेशी, नव-राष्ट्र निर्मित हम करें
विदेशी झालरें हम प्रथम तिरस्कृत करें
माटी के बने दीप से घर को रोशन करें।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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