कितना प्यारा लगता गाँव।
बैठे सभी बरगद की छाव
चहुंओर छाई हरियाली।।
वन,उपवन को सीचे माली।।
मिल,जुल खेले खेल निराले।।
टोली बना चलें मतवाले।।
बहती हवा सुगन्धित सर,सर।।
पत्ते सारे करते फर, फर।।
सावन में झूले पड़ जाते।।
मेघ,मल्हार सभी मिल गा ते।।
बच्चे मिलकर पैग बढ़ाते।।
पैर बड़ा डाली छू आते।।
आती जब होली मस्तानी।।
रंग लगा करते मनमानी।।
दिवाली पर दीप जलाते।।
मिल जुल खील बताशे खाते।।
ऐसा है कुछ गाँव हमारा।।
लगता हमको सबसे प्यारा।।
मंजू यादव एटा
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