अ "अनार का पाठ
"अ" अनार का पाठ सीखले,
प्यारी चिड़िया रानी |
कविता लिखने ग़ज़लें कहना,
सीख अरी महारानी |
पढ़ने लिखने से सीखेगी,
तू भी दुनियाँ दारी |
अनपढ़ है री अरी चिरैया ,
फिरती मारी- मारी |
बोली चिड़िया अरे अनाड़ी,
मैं बचपन से शायर |
सुना नहीं क्या ! चूँ -चूँ चीं- चीं,
चों -चों का मेरा स्वर |
जब हम सब कोरस में गाते|
सुन्दर मीठे गाने |
पेड़ों के पत्ते लग जाते ,
ताली मधुर बजाने |
पाठ तुम्हें पुस्तक वाले ही ,
बच्चो सदा सुहाते |
अरे !मुझे तो गणित गगन से ,
धरती तक के आते
प्रभु दयाल श्रीवास्तव
छिन्दवाड़ा
मध्यप्रदेश
"अ" अनार का पाठ सीखले,
प्यारी चिड़िया रानी |
कविता लिखने ग़ज़लें कहना,
सीख अरी महारानी |
पढ़ने लिखने से सीखेगी,
तू भी दुनियाँ दारी |
अनपढ़ है री अरी चिरैया ,
फिरती मारी- मारी |
बोली चिड़िया अरे अनाड़ी,
मैं बचपन से शायर |
सुना नहीं क्या ! चूँ -चूँ चीं- चीं,
चों -चों का मेरा स्वर |
जब हम सब कोरस में गाते|
सुन्दर मीठे गाने |
पेड़ों के पत्ते लग जाते ,
ताली मधुर बजाने |
पाठ तुम्हें पुस्तक वाले ही ,
बच्चो सदा सुहाते |
अरे !मुझे तो गणित गगन से ,
धरती तक के आते
प्रभु दयाल श्रीवास्तव
छिन्दवाड़ा
मध्यप्रदेश
बहुत ही सुंदर कविता।
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