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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

प्रभु दयाल श्रीवास्तव की रचना "अ" अनार का पाठ

अ "अनार का पाठ


"अ" अनार का पाठ सीखले,
 प्यारी चिड़िया रानी |
कविता लिखने ग़ज़लें कहना,
सीख अरी महारानी |


 पढ़ने लिखने से सीखेगी,
 तू भी दुनियाँ दारी |
 अनपढ़ है री अरी चिरैया ,
फिरती मारी- मारी |



बोली चिड़िया अरे अनाड़ी,
मैं बचपन से शायर |
सुना नहीं क्या ! चूँ -चूँ चीं- चीं,
चों -चों का मेरा स्वर |




जब हम सब कोरस में गाते|
सुन्दर मीठे गाने |
पेड़ों के पत्ते लग जाते ,
ताली मधुर बजाने |


पाठ तुम्हें पुस्तक वाले ही ,
बच्चो सदा सुहाते |
अरे !मुझे तो गणित गगन से ,
धरती तक के आते











प्रभु  दयाल श्रीवास्तव
छिन्दवाड़ा
मध्यप्रदेश

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