बेटी घर की शान जी ,
बेटी का करो सम्मान जी ।
सुख दुख सबको सहती है,
कभी न करो निराश जी।।
बेटी दुर्गा बेटी काली ,
बेटी सरस्वती का रूप जी।
जो भी संकट सामने आये,
सबको दूर कर देती जी।।
बेटी घर की लक्ष्मी है ,
बेटी है घर की मान जी।
बेटी बेटा में भेद न करो,
दोनों है एक समान जी।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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