कर्म किये जा प्रेम से , चिन्ता में क्यो रोय ।
जैसा तेरा कर्म हो , वैसा ही फल होय ।।
सबका आदर मान कर , गीता का है ज्ञान ।
बैर भाव को छोड़कर , लगा ईश में ध्यान ।।
झूठ कपट को त्याग कर , सब पर कर उपकार ।
दया धरम औ दान कर , होगा बेड़ा पार ।।
धन दौलत के फेर में , मत पड़ तू इंसान ।
करो भरोसा कर्म पर , मत बन तू नादान ।।
कंचन काया जानकर , करो जतन तुम लाख ।
माटी का ये देह है , हो जायेगा राख ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com
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