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गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

बुद्धि, बल, विवेक : परी महाजन की रचना



बुद्धि, बल, विवेक

बल से बुद्धि सदा बड़ी है
यह सभी जानते हैं।
बुद्धि बिना हैं सब अज्ञानी 
यह सभी मानते हैं।

बल, बुद्धि, विवेक जहाँ
हर व्यक्ति है नेक वहीँ
बल ने बड़ों- बड़ो को हराया
कोई भी बुद्धि से जीत ना पाया।

रावण की कुबुद्धि ने उसे मरवाया
दुर्योधन की कुबृद्धि ने महाभारत का युद्ध रचाया
माना बल है बहुत ज़रुरी
पर बिना ज्ञान और बुद्धि -
है ज़िंदगी अधूरी।

परशुराम को जब गुस्सा आया
गुस्से में आ राम को डराया
राम ने लिया विवेक से काम
गुस्से को दिया उनके विराम

ना कर मनुष्य तू अभिमान
अभिमान कभी ना देता ज्ञान
जहाँ आती है बुद्धि काम
वहाँ करे क्यों बल का अभिमान।
            
                  - परी महाजन
                  कक्षा - नौ डी
                  ऐमिटी इंटरनेशनल स्कूल

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