ऐ सफलता कहाँ-कहाँ ढूँढा तुझे
ऐ सफलता, ऐ सफलता
कहाँ- कहाँ ढूँढा तुझे,
ऐ सफलता, ऐ सफलता
कहीं नहीं मिली तु मुझे
ढूँढा तुझे खुशियों की झोली में,
खुशियों के मैदानों में
पर कभी नहीं मिल पाई तुझसे
ना जाने कहाँ छिपकर बैठी है तू।
फिर एक दिन मेरे पास एक चिट्ठी आई
उसमें लिखा था सफलता का पता - मेहनत नगर।
अब तो मैंने ठान लिया कि
अब तुझसे मिलकर ही रहूँगी
तुझसे मिलने के चक्कर में
हँसी भी और कभी रोई भी।
रास्ते में पत्थर आए, तूफाँ आए
आँधी आई , सबका सामना किया
क्योंकि मन दृढ़ था
नगर के कोने में था साधारण पर सुंदर घर
मेहनत नगर में, मेरे सामने ही रहती थी सफलता
और नादान, अनजान मैं
ढूँढती रही उसे गली- गली।
- श्रेया दुर्गपाल
कक्षा - नौ
एमिटी इंटरनेशनल स्कूल
सैक्टर - 46, गुड़गाँव
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