तिमिर दूर करने धरती से,
मिलकर साथ चलें,
कोना - कोना रोशन करने,
झिलमिल दीप जलें।
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सतत रश्मियां घर में सबसे,
खुलकर गले मिलें,
अंधकार को दूर भगाकर,
फूलें और फलें।
झिलमिल दीप-------------
रखी मुडेरों पर बतियाती,
जैसी ज्योति हिलें,
धीमी तेज कभी होकर के,
सारी रात जलें।
झिलमिल दीप-------------
रंग - बिरंगे कंदीलों की,
बनकर आस फलें,
रोशन करते कंदीलों के,
ही अनुरूप ढलें।
झिलमिल दीप-------------
तेल और बाती आपस में,
जब भी साथ मिलें,
दीपक तब प्रकाश बांटने,
दुनियाँ में निकलें।
झिलमिल दीप-------------
दीपावली मुबारक करने,
सबके दिल मचलें,
देख अनार फुलझड़ी बच्चे,
खुशियों से उछलें।
झिलमिल दीप--------------
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ.प्र.
9719275453
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