आज भाई दूज है। मेरी प्यारी बहना सोना कब से तैयार होकर मेरे आने की प्रतीक्षा में बैठी होगी। उसने अभी तक पानी का एक घूँट भी नहीं पिया होगा। प्रदीप ने अपनी पत्नी कंचन को बोला चलो साइकिल से चलते हैं। कुछ भी नहीं तो दस कोस की दूरी तो होगी ही। चलो फटाफट निकलते हैं।
दोनों चलने के लिए घर से निकलते हैं। तभी पत्नी कंचन ने कहा, अरे तुम्हारी कमीज़ तो कॉलर से फट रही है। और तुम्हारी पेंट की मोहरी भी घिसकर खराब हो चुकी है। कपड़े तो और भी हैं। कोई से पहन लो।
अरे यार, तुम भी कमाल करती हो। मेरी बहन सोना है सोना, कोई ऐसी-वैसी नहीं। मेरे ऊपर जान छिड़कती है। तुम देखना जब हम उसके घर पेहुंचेंगे तो तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा।
थोड़ी मशक्कत के बाद दोनों पति-पत्नी सोना के घर पहुंच गए। साइकिल एक तरफ खड़ी करके घर के अंदर गए। तो देखा बहन थाली में दीपक,रोली,चावल और मिठाई रखकर मेरे आने की प्रतीक्षा कर रही है। मुझे देखते ही खुशी से पागल हो गई। और मुझ से आकर लता सरीखी चिपक गई। आंखों में प्यार के आँसू छलक आए।
मेरी पत्नी कंचन ने भी सोना को अंक में भरकर ढेर सारा प्यार किया।
कुशलक्षेम के बाद भाई दूज की रस्म अदा की गई। सोना ने हम दोनों का तिलक कर आरती उतारी। मैंने भी सोना के हाथ में सकुचाते हुए सौ रुपए का नोट रखते हुए कहा बहना तेरा भाई गरीब जरूर है, मगर तुझे देखकर अमीर हो जाता है। सोना बोली अरे भैया तुम भी कैसी बात करते हो। और मिठाई खिलाते हुए बातों में खो गई।
तभी कंचन ने मेरी गरीबी को छुपाते हुए कहा दीदी इनके पास कपड़े तो बहुत हैं। लेकिन आप के पास आने की खुशी में फटे कपड़ों को बदलने का भी ध्यान ही नहीं रहा।
मेरी प्यारी भाभी मन अमीर होना चाहिए। कपड़ों,पैसों की अमीरी कोई।अमीरी में नहीं गिनी जाती। यह तो हर वर्ष बनते फटते हैं। लेकिन प्यार और विश्वास वह भी ,भाई-बहन, का जिसे परमात्मा भी कम नहीं कर सकता।
दोनों बहन-भाई पुनः एक दूसरे से लिपट गए।
वीरेन्द्र सिंह ,ब्रजवासी,
मुरादाबाद/उ.प्र.
9719275453
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