भैया चलो पटाखे फोड़ें,
महताबी फुलझड़ियां छोड़ें,
सुतली बम मेंआग लगाकर,
जल्दी घर के अंदर दौड़ें।
देखो सुंदर चरखी चलती,
घूम-घूमकर आग उगलती,
जो भी इसे पकड़ना चाहे,
उसकी तुरत हथेली जलती।
सोनू इतना क्यों डरते हो,
कानों पर उंगली धरते हो,
इतना भी क्या डरना भाई,
चीख-चीखकर घरभरते हो।
रोना छोड़ो खुशी मनाओ,
मिलकर लड्डू पूरी खाओ,
बोतल में रॉकेट खड़ाकर,
दुममे उसकी आग लगाओ।
ऊपर जाकर दिखे नज़ारे,
बिखरे हों ज्यों लाखों तारे,
सबने मन में खुशी जताई,
मिलकर दीपावली मनाई।
वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
मुरादाबाद/उ.प्र.
9719275453
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