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शनिवार, 6 नवंबर 2021

"प्रकृति रचना



झरने की आवाज से, होता जग में शोर।
पक्षी गाते गीत है, होता हैं जब भोर।।

सुंदर सी साड़ी पहन, बैठी गोरी आज।
मन उसका क्यों शांत है, करे नहीं कुछ काज।।

खनकती चूड़ी हाथ में, दिखे होठ भी लाल।
नयनों में काजल लगे, लम्बे उनके बाल।।

हरियाली चहुँओर है, बहते झरने धार।
कितना सुंदर दृश्य है, गोरी करती प्यार।।

पैरों में घुँघरू सजे, नाचे मन में मोर।
छम छम की आवाज से, जियरा लेत हिलोर।।





प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com

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