ब्लॉग आर्काइव

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021

संपादक की डेस्क से

 




प्रिय मित्रों


"नाना की  पिटारी "के  सात  सफल वर्ष  व्यतीत  होने तथा आठवे वर्ष  के  प्रारंभ होने  पर  आपका  स्वागत  है ।
यह  पत्रिका दिनांक  04/02/2014  से, अर्थात,  गत   सात वर्षों  से   अंतर्जाल पर, छोटे बच्चों के  लिए प्रकाशित हो रही थी  ।  यह पत्रिका   बिल्कुल  निशुल्क है  और  विज्ञापन  रहित है ।  इसे   कोई  भी व्यक्ति  विश्व  में  कहीं  भी,   गूगल/एम एस एन आदि सर्च इंजन  मे हिन्दी अथवा अंग्रेजी  में 'नाना की  पिटारी'/ nana ki pitari लिख कर प्राप्त कर   सकता  है।

गत् सात वर्षो मे  ' नाना  की पिटारी'  पत्रिका  ने हिन्दी    बालसाहित्य जगत के  साहित्य  में  लेखन और  प्रसारण के  कार्य  में  महत्वपूर्ण  भूमिका  निभाई  है  ।  कविताओं,   कहानियों,   पहेलियों और   चुटकुलों  के अलावा शामू धारावाहिक लम्बी कहानी,  प्राचीन  विश्व  के  सात अजूबे ,  नवीन  विश्व  के  सात अजूबे, अपने नन्हे मुन्ने पाठकों के  समक्ष प्रस्तुत किया है।  पेरिस का  इफेल टावर  दिखाया  और कभी  बर्लिन की  दीवार तो कभी जैसलमेर के रेगिस्तान तथा  यूरोप के सबसे बड़ा Rhine वाटर फाल  की सैर  कराई है ।  इसने   हमारे  महापुरुषों, हमारे पूर्वजों  के  बारे  में भी  समय समय पर   बताया  है।  

 
   बाल मन की  उत्सुकता और उत्कंठा   को  ध्यान  में  रख  कर  इस पत्रिका ने   एक रोचक   बाल चरित्र,   'प्रिन्सेज डॉल' का भी सृजन  किया था ।  ज्ञान वर्धक,  बाल मनोरंजन  प्रिन्सेज डॉल  की ( फेरीटेल्स) की   बाल कथाओं  की  धारावाहिक  सीरीज को एक माला की तरह पिरो कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया  ।   इस पत्रिका में प्रारंभ से अब तक लगभग 2000 आइटम  प्रकाशित   प्रकाशित  हो  चुके हैं  ।

जैसा  कि  अमूमन बचपन में  दाँतों  के  निकलने  के  समय  कठिनाई  होतीं  हैं  वैसी ही  इस  पत्रिका के  प्रकाशन  मे  पहले चार वर्षों में  कठिनाईयां  भी  आई  थी  , मसलन्,  "हिन्दी  ब्लागस् डाट नेट" की  साइट  पर   सर्वर बदले जाने  की  प्रक्रिया  से उत्पन्न  कुछ  तकनीकी  परेशानियों  के कारण ' नाना  की पिटारी' का  ब्लॉग  'हिंदी ब्लॉग डॉट नेट 'के  सर्वर  से  अदृश्य हो गया ।   जिसकी वजह  से उसकी  मेमोरी  में  पड़े  हमारे लगभग 1150 अभिलेख गायब हो गए  थे  जिनकी     रिकवरी वे अंत तक नहीं  कर  पाए ।   हमारी पत्रिका  को " हिंदी  ब्लाग  डाट नेट "  के  कारण  बहुत  बड़ा  नुकसान  उठाना पड़ा।   लेकिन  हम रुके  नहीं  हम अपने  मार्ग  मे पुनः बढ़ते गये   । हम  "नाना  की पिटारी "  को  "ब्लागर" के  पटल पर ले आये  जहाँ  से  अब तक   बिना  रुके  हुए पत्रिका  का   प्रकाशन चल रहा है  ।  अब हम पत्रिका के प्रकाशन के आठवे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।  यह सब आप लोगों के प्यार और सहयोग के कारण ही संभव हो पाया है।

पत्रिका  के  प्रकाशन  से  ही  इसके साथ जुड़े  रचनाकारों  का उल्लेख  और धन्यवाद  ज्ञापन  आवश्यक  है  ।   प्रारंभ  में  श्री  अखिलेश  चन्द्र  श्रीवास्तव  श्रीमती  अंजू  गुप्ता  ने अपने सहयोग से काफी उत्साहित  किया  तदुपरांत  श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव  जी डॉ  प्रदीप शक्ल  जी,  श्री  शादाब  आलम जी , स्व महेंद्र  देवांगन, अर्पिता  अवस्थी,  सुषमा  मांगलिक    और  कुमारी  प्रिया  देवांगन  प्रियू ,  श्रीमती  अंजू निगम ,श्रीमती  मंजू श्रीवास्तव ( दिवंगत) वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी  श्रीमती  मिथिलेश  शर्मा  और  श्री कृष्ण कुमार वर्मा जी   के  नाम विशेष  रूप से   उल्लेखनीय  है  इन्होंने इस ब्लॉग में अपने लेखन से काफी सहयोग दिया है ।   श्रीमती  मधु त्यागी  जी ने  अपनी  तथा एमिटी  इन्टरनेशनल गुरुग्राम एव  श्रीमती श्वेता दिव्यांक, माउंट ओलंपस स्कूल मालबो टॉउन गुरुग्राम,  के सहयोग से प्रेषित  छात्रों  की रचनाएँ   ' नाना की पिटारी' मे प्रकाशन हेतु  प्रेषित  की थीं।   आप सभी को  बहुत  धन्यवाद  और आशा है कि आगे  भी वे छोटे  बच्चों  के लिए  अपनी  रचनाओं  को  हमे  हमारे email :-  nanakipitari@gmail.com पर भेजते  रहेगें ।

 आपके अभिनन्दन के साथ


शरद कुमार श्रीवास्तव 

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