हे मानव तुम पेड़ लगाओ।
तेज धूप से हमें बचाओ।।
दर दर भटके हम बेचारे।
अपनी किस्मत से हैं हारे।।
तुम तो ए सी में सो जाते।
ताजा ताजा भोजन खाते।।
मानव तुम महलों में रहते।
जरा धूप को तुम ना सहते।।
गली गली हम ढूँढे छाया।
भरी धूप में जलती काया।।
गाड़ी के नीचे जब जाते।
कभी मार कर हमें भगाते।।
दिनभर रहते भूखे प्यासे।
धीमी होती जाती साँसे।।
हे! मानव तुम हमें बचाओ।
धरती में हरियाली लाओ।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
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