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रविवार, 26 जून 2022

आषाढ़ प्रिया देवांगन "प्रियू" की रचना



आया है आषाढ़, साथ आ जाओ पानी।
देखर रहें हैं राह, छोड़ दो अब मनमानी।।
लालच देकर रोज, कहाँ जी तुम उड़ जाते।
दिखते पानी मेघ, धरा में क्यों नहिँ आते।।

गड़गड़ की आवाज, हिया में शोर मचाते।
सुनकर मानव शोर, सभी वे खुश हो जाते।।
कहीं गिराते नीर, बढ़ाते कहीं उदासी।
बेचारी ये झील, यहाँ बैठी है प्यासी।।

तरसे मन उल्लास, खण्ड वर्षा ये कैसी।
कहीं धूप अरु छाँव, नहीं पहले थी ऐसी।।
आओ बारिश बूंँद, रूठना अब तुम छोड़ो।
बांँटो अपना प्रेम, धरा से नाता जोड़ो।।

मानव का ये रूप, नहीं जी तुम अपनाओ।
नहीं बदलना रंग, सही पहचान दिखाओ।।
जोड़े हाथ किसान, कहे तुम नीर गिराओ।
ओ राजा आषाढ़, जरा हरियाली लाओ।।




प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com

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