सायकिल चलाना, मजे उड़ाना, बचपन के दिन, याद करे।
दोस्तों सँग जाना, रेस लगाना, ऊपर-नीचे, श्वांँस भरे।।
हाथों को छोड़े, हैंडल मोड़े, मैदानों में, साथ बढ़े।
धरती भी बंजर, होता पंचर, पकड़ पहाड़े, सभी चढ़े।।
वो घूमे बस्ती, करते मस्ती, सीट बैठ कर, राह चले।
जादा इठलाते, हम गिर जाते, बैठ वहाँ पर, हाथ मले।।
ये बात पुरानी, बनी कहानी, आओ मिलकर, याद करे।
बचपन भी बीते, जीवन जीते, कभी खुशी से, आँख भरे।।
रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
बचपन की मस्ती 😍
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