काट रहे हैं जंगल झाड़ी, नहीं पवन का झोंका है।
मिलकर सारे पेड़ लगाओ, तुम को किसने रोका है।।
बदल लिया करवट मौसम ने, सूर्य चन्द्र की बारी है।
हाहाकार मचा है देखो, महमारी भी जारी है।।
जल्द समस्या हल कर डालो, फिर हरियाली आयेगी।
सुंदर सुंदर फूल खिलेंगे, चिड़िया गीत सुनायेगी।।
रूठ गयी गर धरती मैया, कैसे प्यास बुझाओगे।
देख रहे सूरज गुस्से से, कैसे उसे मनाओगे।।
विश्व धरा पर खड़ी समस्या, जल्दी से सुलझाओ जी।
कलयुग के मानव होने का, अपना फर्ज निभाओ जी।।
रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
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