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रविवार, 26 जून 2022

" सबक " एक बालकथा प्रिया देवांगन प्रियू की रचना

     


          बरसात का मौसम था। आकाश में काले-काले बादल छा रहे थे। अंधेरा होने वाला था। गली में बिजली खम्भे के नीचे कुछ छोटी-छोटी लड़कियाँ फुगड़ी खेल रही थीं। सब बहुत खुश थीं। अचानक बिजली चमकी। सब डर गयीं। वहीं पर ठहर गयीं। तभी मिन्नी बोली - "चलो यहाँ से चलते हैं, तेज बारिश होने वाली है। आँधी भी आने लगी है।" लेकिन किसी का भी मन घर जाने का नहीं हो रहा था। सभी इस सुनहरे मौसम का मजा लेना चाहते थे।
           विधि बोली - "मिन्नी ! तुम्हें जाना है तो जाओ। हम सब तो मौसम का मजा लेंगे और इस हल्की बारिश में भीगेंगे भी।" सभी लडकियाँ हँसने लगीं। मिन्नी बोली- "बारिश का मजा तो सबको अच्छा लगता है, लेकिन मेरे पापाजी जी कहते हैं कि जब जोर से बिजली चमके, तो बिजली खम्भे या पेड़ों के नीचे नहीं ठहरना चाहिये।" दूसरी लड़कियों को मिन्नी के ऊपर बहुत ग़ुस्सा आया। सभी मिन्नी से कहने लगीं- "मिन्नी,तुम्हें जाना है तो जा। हमें तेरा भाषण नहीं सुनना है।" मिन्नी वहाँ से चली गयी।


           फिर सभी लड़कियाँ दौड़-दौड़ कर खेलने लगीं। मस्ती करने लगीं। तभी बूंँदा-बाँदी भी शुरू होने लगी। बादल भी गरजने लगा। सभी बारिश का आनंद ले रहीं थीं। अचानक बारिश तेज होने लगी और बिजली का जोर-जोर से चमकना शुरू हो गया। लड़कियाँ घबरा गयीं और कहने लगी कि हमें भी मिन्नी के साथ ही घर चले जाना था। अब हम कहाँ रहेंगे। विधि बोली- "चलो उस पेड़ के नीचे जा कर खड़े हो जाते हैं। बारिश के थमते ही हम घर चलेंगे।"             थोड़े ही दूर में बहुत सारे पेड़-पौधे लगे हुए थे। जैसे ही लड़कियाँ आगे बढ़ने लगीं , बिजली पेड़ से कुछ दूरी पर गिरी। वे बाल-बाल बचीं। एकदम डर गयीं सबके-सब। सभी एक-दूसरे को देखने लगीं। किसी के मुँह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी। बारिश में ही भींगते हुये सभी लड़कियाँ विधि के घर चली गयी।


            विधि के मम्मी-पापा ने लड़कियों को अपने घर की ओर आते हुए देख लिया। अंदर बुलाया और पूछा- "इतनी बारिश में क्यों भींग रहे थे तुम सब ?" लड़कियाँ डर के मारे कांँप रही थीं। विधि की मम्मी को समझ में आ गया कि कुछ न कुछ तो हुआ है, इसलिए बच्चे डरे हुये हैं। उन्होंने बातों ही बातों में घटना की पूरी जानकारी ली। पापाजी ने सबको को डांँट लगायी; और उन्हें समझाया- "जीवन में हमेशा याद रखना कि हमें पेड़ या बिजली खम्भे के नीचे ऐसे समय नहीं खेलना या रहना चाहिए। तुम सबने देखा है कि आसमान से वज्रपात पेड़ों पर जा गिरा । जैसे हम दो पत्थरों को आपस में रगड़ते हैं तो उससे आग उत्पन्न होती है , उसी तरह आसमान में भी बादल जब एक - दूसरे से टकराते हैं तो बिजली उत्पन्न होती है और वह धरती के गुरुत्वाकर्षण के कारण पेड़ों, बिजली खम्भों में गिर जाती है। जिस जगह पर गिरती है उस जगह के आसपास पूरा आग लगा देती है, नष्ट कर देती है। इससे निकलने वाला धुआँ बहुत ही हानिकारक होता है। आसपास के जगहों के अलावा वहाँ पर जाने वाले मनुष्य के शरीर को भी नुकसान पहुँचाती है। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो हमारा क्या होता। ऐसा नहीं है कि मिन्नी झूठ बोल रही थी। बादल व बिजली के सम्बंध में जो बातें उनके पिता जी ने उसे बताई है , वही तो उसने तुम्हें बताई ; और तुम सब को मजाक लगा। सभी सर झुकाये चुपचाप विधि के कमरे की तरफ चली गयी। उन्हें आज एक अच्छा सबक मिला था।
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रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com


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