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सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

जाड़ा भैय्या वापस जाओ : डॉ प्रदीप शुक्ल का बालगीत  



जाड़ा भैय्या वापस जाओ

  
बहुत हो गया जाड़ा भईया 
अब वापस अपने घर जाओ 
कुहरे की चादर समेट कर 
ठंड यहाँ से दूर भगाओ 

ऊब गए हैं घर में बैठे 
मन करता है बाहर खेलूँ 
स्वेटर मफलर और ज़ुराबे 
इनको मैं अब कब तक झेलूँ

अब तो तुमने हद ही कर दी 
बारिश को भी ले आये हो 
सूरज अंकल छुट्टी पर हैं 
बस इससे तुम इतराये हो 

कुछ ही दिन में सूरज अंकल 
घर वापस आने वाले हैं 
चम चम करती धूप सुनहरी 
संग में वो लाने वाले हैं 

लेकिन सुन लो जाड़ा भैय्या 
मुझ से तुम नाराज़ न होना 
दूर चले जाओगे जब तुम 
मुझको फिर आयेगा रोना 

सूरज अंकल बहुत तेज़ हैं 
हम बच्चे उनसे घबराते 
सच में बहुत मज़ा आता है 
वापस जब तुमको हम पाते 

जाड़ा भैय्या अब तुम जाओ 
वापस भी तुम जल्दी आना 
हर बरसों की तरह साथ में 
रंग बिरंगे कपड़े लाना.








डॉ. प्रदीप शुक्ल

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