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एक गाँव मे दो भाई रहते थे। राजू और रामू दोनों बहुत ही पक्के व सच्चे मित्र थे । दोनों भाई साथ साथ सब काम करते । गाँव वाले बोलते थे इन दोनों भाई हमेशा साथ ही रहते हैं। दोनों साथ में स्कूल जाते । खेलने कूदने जाते। और दोनों एक साथ बड़े भी हुये। दोनों की उम्र काम करने की हो गयी। दोनों सच्चे व ईमानदार आदमी थे। दोनों शहर जा कर काम ढूंढ लिये । रामू और राजू को एक कंपनी में काम मिला ।इस बात का दोनों के माता - पिता को बहुत खुशी हुई कि आज के युग मे दोनों भाई में कितना प्रेम है। अब भी दोनों साथ रहते थे और काम मे जाते थे। दोनों की शादी भी हो गयी । राजू और रामू एक ही जगह घर बनाकर रहने लगे। राजू ओवर टाइम करता था इसलिये उसके पास ज्यादा पैसे आने लगे । और रामू एक ही बार काम करता था तो सिर्फ तनख्वा के ही रुपय मिलते थे। धीरे धीरे राजू को पैसे का घमंड होने लगा । कि मेरे पास ज्यादा पैसे है मैं बहुत ही अमीर आदमी बन गया हूँ। रामू को इस बात का पता चला तो राजू को बहुत समझाया कि देखो भाई पैसे का घमंड करना छोड़ दो। और सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को अच्छे से निभाओ पैसा हमेशा काम नही आता ।रिश्तेदार ही काम आते हैं। राजू रामू से बहस करना शुरू कर दिया। बोला आजकल पैसा ही सब कुछ हैं रामू तू क्या समझेगा तू तो आज भी गरीब है और देख मेरे को मै कितना अमीर इंसान बन गया हूं। राजू , रामू और सभी रिश्तेदारों से दूर हो गया । एक दिन अचानक राजू का तबियत बिगड़ने लगा। उसको केंसर हो गया था। इलाज में सभी पैसे खत्म हो चुके थे। तभी अचानक राजू को रामू की याद आई।और अपनी पत्नी से कहा रामू को फोन लगाओ।उसकी पत्नी रामू को फोन लगाकर सब कुछ बताई।रामू तुरन्त वहाँ हॉस्पिटल में आया। और राजू की हालत देख कर दोनों गले मिलकर रोने लगे। तब राजू को समझ आ गया कि दोस्ती और रिश्तों का मोल क्या होता है। रामू , राजू को अच्छे से डॉक्टर के पास ले जा कर इलाज कराया और राजू की जान बचाया। तभी राजू , रामू के पैरों में गिर कर माफी माँगने लगा और कहने लगा कि जब तू समझाया उसी समय मैं समझ जाता तो अभी मेरी ये हालत नही होती मैं पैसे के मोह में पागल हो गया था। अब मेरे पास सिर्फ तू ही हैं रामू ऐसा कहकर दोनों रोने लगे। तभी रामू ने कहा ऐसा मत बोल भाई समय रहते तुझे गलती का एहसास हो गया और क्या चाहिये। फिर दोनों भाई पहले जैसे ही साथ साथ रहने लगे।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com