ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 6 सितंबर 2020

बाढ़": प्रिया देवांगन प्रियू की रचना






प्रकृति का यही नियम है कि हर साल सभी जगहों पर बारिश होती है।. हर साल कही न कही बाढ़ जैसे समस्या उत्पन्न होती है। हर साल सुनने को मिलता है कि किसी का घर बाढ़ आने से बह गया। कही किसी के बच्चें बाढ़ आने से अपने - अपने माँ - बाप , भाई- बहन से बिछुड़ गए। अक्सर यही सब सुनने को मिलता है । मछुवारें लोग ज्यादा से ज्यादा नदी या समुद्र के किनारे घर या छोटी सी झोपड़ी बना के रहते हैं । तेज बारिश होने के कारण समुद्र में उफान आने के कारण बाढ़ में लोग बह जाते हैं। 
बारिश होने का इंतजार सभी लोग करते हैं।लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश हर लोगो को चिंताग्रस्त कर देता है। (मैं एक छोटी सी कहानी अपने लेख के द्वारा आप सभी को बताना चाहती हूँ)
जब से सावन लगा था तब से पानी का गिरना बंद हो गया था। मैं और मेरे पिता जी अक्सर कहा करते थे कि ये तो सावन नही गर्मी का दिन लग रहा है । बहुत ही धूप और गर्मी रहता था। सावन में कभी कभी हल्का हल्का ही बारिश होता था। सावन खत्म होने के बाद अगस्त के महीने की शुरुआत हुई । अच्छा खासा सभी का दिन निकल रहा था। कभी हल्की हल्की बारिश की फुहार तो कभी ठंडी ठंडी हवा तो कभी सौंधी सौंधी माटी की सुगंध हमेशा मैं और मेरे पिता जी इसका आनंद लेते थे। जब भी बारिश होती दरवाजे पर जा कर खड़े हो जाते और बारिश के पानी का मजा लेते थे। 16अगस्त का दिन था सुबह सुबह अचानक मेरे पिता जी का तबियत खराब होने लगा और हम सभी उसको हॉस्पिटल ले कर गए । जब हम लोगो को पता चला कि पापा जी नही रहे उस दिन से ले कर आज तक बहुत बारिश हो रही है।मानो आसमान भी रो रहा है। ऐसा लग रहा है  भगवान भी अपनी गलती पर अफसोश कर रहे है। *माटी* पुत्र को ले जाकर वह भी फूट फूट कर रो रहे हैं। अपने परिवार और अपने बच्चों से दूर कर के भगवान भीआँसू बहा रहें हैं  ।यहाँ के आस - पास के गाँव- शहर , नदी - तालाब सभी जगहों पर  बाढ़ आ गया है। पूरा गाँव - शहर पानी पानी हो गया है।





















प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम 
छत्तीसगढ़

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें