कहाँ जा रहे पप्पू राजा,
लेकर के पिचकारी,
मम्मी ने पूछा तेजी से,
चलदी कहाँ सवारी।
तेज हुई गर्मी के कारण,
झुलस गई फुलबारी,
देख भयंकर गर्मी सबने,
अपनी हिम्मत हारी।
बदन तपेगा पैर जलेंगे,
थकन बढ़ेगी न्यारी,
सूरज की गर्मी में होती,
छाया ही सुखकारी।
घर से बाहर जाओगे तो,
पकड़ेगी बीमारी,
सुई लगेगी तब रोओगे,
होगी पीड़ा भारी।
पप्पू बोला मैं सूरज पर,
छोडूंगा पिचकारी,
सारीआगबुझाके उसकी,
रख दूँगा इस बारी।
आग बुझाने पानी डालो,
कहती मेंम हमारी,
डरती आग स्वयं पानीसे,
कहती नानी प्यारी।
इतना काहे डरती मम्मी,
सुन लो बात हमारी,
सूरज भी सॉरी बोलेगा,
देख - देख पिचकारी।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
दिनांक- 07/09/2020
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