गुजरात के चिड़ियाघर में बहुत सारे जानवर रहते थे जैसे-बिल्ली, घोड़ा, कुत्ता, बकरी, साँप और बतख आदि। वहाँ जगह - जगह से लोग उन्हें देखने आते थे। एक दिन गुड़िया रानी अपनी मम्मी के साथ चिड़ियाघर देखने गई ,जैसे ही वह बिल्ली के पास जाती है बिल्ली हिनहिनाना शुरू कर देती है वह कहती है नेह -नेह(neigh), ये सुनते ही गुड़िया रानी जोर से हँसने लगती है और कहती है," मौसी-मौसी ये तो घोड़े की बोली है", तुम क्यों बोल रही हो? बिल्ली तभी घोड़े से कहती है, " भैया -भैया ज़रा तुम बोल कर दिखाओ" ,तो घोड़ा बोलता है,
म्याऊँ-मयाऊँ ये सुनते ही गुड़िया रानी फिर हसँ देती है अब बिल्ली मौसी परेशान-हैरान होकर कहती है "कि गुड़िया रानी,गुडिया रानी तुम ही कुछ करो न ! ये सब सही करो न तब गुड़िया रानी कहती है "गिल्ली-गिल्ली छू,बिल्ली की बोली वापस आ जा तू" ,और ये कहते ही उसकी बोली वापस आ जातीहै । तभी घोड़ा भी कहता है कि गुड़िया रानी ,गुडिया रानी मेरी भी मदद करो न और गुड़िया कहती है अच्छा मैं कुछ करती हूँ और वह फिर से कहती है "गिल्ली-गिल्ली छू घोड़े की बोली वापस आ जा तू "और उसकी बोली वापस आ जातीहै। फिर माँ कहती है , " चलो गुड़िया रानी , अब आगे चलते है। " और गुड़िया कहती है , " हाँ माँ , चलो-चलो अब मुझे बकरी और कुत्ते से मिलने जाना है।
" पर ये क्या ! बकरी भौं-भौं करने लगती है। अब गुड़िया रानी फिर से हसँ देती है और कहती है , " बकरी-बकरी ये तो कुते की बोली है। तुम क्यों बोल रही हो? " बकरी परेशान- हैरान होकर कहती है , " गुड़िया रानी तुम ही अब कुछ करो न ये सब देखो न क्या हो गया। " तब गुड़िया रानी कहती है, " हाँ-हाँ मैं कुछ करती हूँ। " और गुड़िया रानी फिर से कहती है, " गिल्ली-गिल्ली छू , बकरी की बोली वापस आ जा तू। " और बकरी की बोली वापस आ जाती है। अब कुत्ता आता है और वह गुड़िया रानी को देखते ही मैंह-मैंह करने लगता है और कहता है, " गुड़िया रानी , गुड़िया रानी मेरी बोली भी वापस ला दो न प्लीज़। " और गुड़िया रानी फिर से कहती है, " गिल्ली-गिल्ली छू कुत्ते की बोली वापस आ जा तू। " और फिर कुत्ते की बोली वापस आ जाती है। अब माँ कहती है , " चलो बेटा जल्दी से घर चलते है। तुम्हारे पापा दफ्तर से आने वाले है। " गुड़िया रानी कहती है, " माँ बस थोड़ी देर और। एक बार साँप और बतख से भी मिल लेते है। " माँ कहती है , " अच्छा बेटी चलो और वे दोनों साँप के पास पहुँच जाते है।
जैसे ही साँप के पास पहुँचते है साँप quack -quack करने लगता है उसकी बोली सुनते ही गुड़िया रानी ज़ोर से हँसने लगती है गुड़िया रानी को हँसते देख साँप को गुस्सा आने लगता है वह कहता है अरे!बच्ची तुम मुझसे डरती नही हो,तुम्हे पता है कि मैं कितना जहरीला और खतरनाक हूँ ये सुनते ही गुड़िया रानी ज़ोर से हँस देती है और कहती है," साँप दादा पहले अपनी बोली तो वापस पाओ,तुम तो बतख की बोली बोल रहे हो"।ये सुनते ही साँप हैरान- परेशान हो जाता है और कहता है," गुड़िया रानी अब तुम ही कुछ करो न",तब गुड़िया कहती है अच्छा-अच्छा दादा परेशान मत होना मैं कुछ करती हूँ और वह फिर से कहती है "गिल्ली-गिल्ली छू साँप की बोली वापस आ जा तू ",और साँप की बोली वापस आ जाती है,तभी वहाँ बतख भी आ जाती है और वह हिस स स हिस स स करना शुरू कर देती है और गुडिया को कहती है," गुड़िया रानी, गुड़िया रानी तुम्हे तो सबकी बोली पता है please मेरी भी बोली ठीक कर दो न", देखो ये तो साँप दादा की है,तब गुड़िया रानी फिर से कहती है,"गिल्ली-गिल्ली छू बतख की बोली वापस आ जा तू" और बतख की बोली quack -quack वापस आ जाती है।
अब सब खुश हो जाते है और गुड़िया रानी को धन्यवाद् कहते है।
फिर माँ कहती है वाह!गुड़िया रानी तुम्हे तो सबकी बोली पता है कि -
बिल्ली म्याऊँ-म्याऊँ करती है,घोड़ा हिनहिनाता है,कुता भौ-भौ करता है,बकरी मैंह-मैंह करती है,साँप हिस स स हिस स स करता है और बतख quack -quack करती है।शाबश!my sweetheart चलो,अब घर चलते है तुम्हारे पापा भी दफ्तर से घर आ गए होगें और गुड़िया कहती है हाँ माँ ,चलो -चलो मुझे पापा को भी ये सारी बातें बतानी है।
अंजू जैन गुप्ता
गुरुग्राम
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