जंगल,पर्वत और पेड़ों को काट रहे हो क्यों भैय्या
मेरे बच्चे कहां रहेंगे ,पूछ रही है गोरय्या।
तेज धूप में पंख जले तो ,छांव कहां से पाऊंगी
जल के बिना मुंडेर छतों पर प्यासी ही मर जाऊंगी
अब किलकारी मार के बच्चे किसके पीछे दौड़ेंगे
कैसे बहलाओगे उनको नजर नहीं जब आऊंगी
निसदिन राह तकेगी मेरी बच्चों के संग संग मैय्या।
डा रामगोपाल भारतीय
128 शील,मेरठ 250001
मो8126481515
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें