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रविवार, 16 मई 2021

समय है! वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की रचना

 

          


मौतसे जीवन बचाने का समय है,

जिंदगी को गुनगुनाने का समय है, 

कब तलक  एकांत  में  बैठे  रहेंगे,

 हुनरकोभीआज़मानेका समय है।

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नोचकर मायूसियों  के पंख  फैकें,

हौसलों की भी उड़ानों को न रोकें,

व्याधियां नव रूप ले आती  रहेंगी,

कहाँतक इनका भयंकर,रूप देखें,

उठो, इनको मात देनेका समय है।


एकता की डोरको अक्षुण्य रखना,

सदा अंतरात्मा  को  पुण्य  रखना,

कोरोना कीअग्नि मेंजलते हुए को,

सहायतादेकरस्वयंकोधन्य रखना, 

सांसमेंअबआस भरनेका समय है,


वैश्विक बीमारियों  का  दंश  झेला,

बड़ीमाता,प्लेग सा भयभीत  रेला,

समयके आगे ठहरपाया नहींकुछ,

रहगया बनकर समयकाएकखेला,

बुद्धि क्षमताआजमानेका समयहै।



कहर कोरोना ने बरपाया हुआ  है,

मौतबनकर हरतरफ छायाहुआ है,

करोड़ोंकी जिंदगी को लीलकरभी,

नित बदलकररूप इतरायाहुआ है,

सभीको टीका लगानेका समय है।



क्याबिगाड़ेगा हमारा हम गजब हैं,

मास्क,दूरी,हाथ  धोने में अजब हैं,

यह डरे  हमसे न हम इससे  डरेंगे,

प्रणहमारा कोरोनापर हीसितब है,

हारकर भी जीतजानेका समय है।

मौत से जीवन-----------------

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                 वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

                    मुरादाबाद/उ,प्र,

                    9719275453

                    

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