सहम गए यूँ सारे पक्षी।
चीं चीं करना छोड़ दिये।।
मानव के हालात देखकर।
रब से रिश्ता तोड़ दिये।।
एक डाल पर बैठे सारे।
मन ही मन क्या सोच रहें।
भूख लगी है फिर भी देखो।
जाने से संकोच रहें।।
फैल रहा है कहर शहर में।
हर तरफ मौत साया है।
पक्षी सारे सहम गये है।
ये कैसा दिन आया है।।
एक दुजे को देख देख कर।
अपनी भाषा बोल रहें।
मिल कर बैठे सारे साथी।
उलझन सारी खोल रहें।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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