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बुधवार, 26 सितंबर 2018

मंजू श्रीवास्तव की प्रस्तुति चालाक कौवा










चालाक कौआ
एक जंगल मे बहुत सुन्दर पेड़ था जिसपर दो कौए रहते थे| दोनो पति पत्नि थे | एक दिन मादा कौए ने दो अंडे दिये | दोनो बहुत खुश थे |
     दूसरे दिन दोनो कौए उड़ गये खाने पीने की तलाश मे | जब शाम को वापस आये तो देखा कि दोनो अंडे गायब|   दोनो कौए बहुत उदास और दुखी हो गये |
      ऐसे ही कुछ दिन बीत गये | मादा कौए ने फिर दो अंडे दिये | दूसरे दिन दोनो कौए खाने पीने की तलाश मे फिर उड़ गये | शाम को वापस आये तो देखा कि दोनो अंडे फिर गायब |  | बहुत ज्यादा दुखी हो गये |
      समझ नहीं आया कि मामला क्या है | चारों तरफ देखा ,  कुछ नहीं समझ आया | फिर नीचे देखा तो पेड़ के बिल्कुल पास एक बिल दिखाई दिया |उसमे से एक अजगर ने मुंह बाहर निकाला तो मामला समझ मे आ गया |
        सवेरा होते ही दोनो कौए उड़ते हुए नदी के किनारे पहुंचे | वहां कुछ महिलाओं ने अपने जेवर उतारकर नदी के किनारे रख दिये और हाथ मुंह धोने लगीं|
          कौऔं ने मौका देखा और
हार चोंच मे दबाकर उड़ चले | महिलाओं ने शोर मचाया तो पुलिस वाले कौओं के पीछे भागे  |
        कौए उड़ते हुए पेड़ के पास आये और. हार बिल मे  डाल दिया |  |
पुलिस वालों ने हार निकालने के लिये बिल मे हाथ डाला तो हाथ मे अजगर आ गया | पुलिस वालों ने अजगर को पीट पीट कर मार डाला | और हार ले जाकर उन महिलाओं को दे दिया |
         कौओं ने यह सब देखा और बड़े खुश हुए  | अब उनका अंडा कोई नहीं खायगा |
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बच्चों, जब विपत्ति आये तो उस समय घबड़ाना नहीं चाहिये | धैर्य से काम लो तो समस्या का हल निकल आता है.

              मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार

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