ठंड का मौसम आया है ।
शाल और स्वेटर लाया है।।
बिस्तर से न उतरे हम।
चादर रजाई ओढे हम।।
सबको धूप का है इंतजार ।
कहाँ गये सब पंछी यार।।
किट किट करते दांत सभी के।
आंख न खुले सुबह किसी की।।
गरम पानी जी सबको भाये।
ठंड़ा कोई हाथ न लगाये ।।
दादी अम्मा आती है।
चूल्हे को जलाती है।।
सभी सेंकते अपने हाथ ।
मिलजुल कर रहते साथ ।।
प्रिया देवांगन " प्रियू"
जिला - कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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