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रविवार, 16 जून 2019

मैं जहाज बन जाऊँ (बाल कविता) सुशील शर्मा


माँ  मैं जहाज बन जाऊँ।
आसमान की सैर कराऊँ।

अपनी पीठ पर तुझे बिठाऊँ।
छत से मैं ऊपर उड़ जाऊँ।

उडूं हवा में सर सर ऐसे।
उड़े हवा में पंछी जैसे।

लाल किला के ऊपर घूमूँ।
एफिल टावर को मैं चूमूँ।

सात समंदर पार कराऊँ।
हनुमान बन कर दिखलाऊँ।

एवरेस्ट पर लेंडिंग करके।
भारत को देखूँ जी भरके।

माँ तुम बिलकुल मत घबड़ाना।
आँख बंद करके मुस्काना।

सारे विश्व की सैर कराऊँ।
माँ तेरी गोदी चढ़ जाऊँ।

















सुशील शर्मा

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