गुड़िया के कानों को यूंही
नाम मुम्बई भाया,
मुम्बई जाना है रो रोकर,
पापा को बतलाया।
लोट-पोट हो गई धरा पर,
सबने ही समझाया,
लेकिन जिदके आगे कोई,
सफल नहीं हो पाया।
दादी अम्मा ने समझाया,
दादू ने बहलाया,
चौकलेट, टॉफी,रसगुल्ला,
लाकर उसे दिखाया।
पापाजी बाजा ले आए,
भैया लड्डू लाया,
चुपजा कहकरके मम्मी ने,
थोड़ा सा धमकाया।
चाचाजी ने तब गुड़िया को,
बाइस्कोप दिखाया,
जुहू, पारले, चौपाटी सब,
गुड़िया को समझाया।
घुमा- घुमाकर बाइस्कोप में,
मुम्बई शहर दिखाया,
शांत हुई गुड़िया रानी ने,
हंसकर के दिखलाया।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
मो0---- 9719275453
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